अन्नदा एकादशी 19 अगस्त 2025 : व्रत कथा, महत्व और आधुनिक जीवन से जुड़ाव
एकादशी परिचय
अन्नदा एकादशी 19 अगस्त 2025 : हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। कुल मिलाकर साल में 24 एकादशियाँ होती हैं, और अधिक मास पड़ने पर यह संख्या 26 भी हो जाती है। इन सभी में भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को अन्नदा एकादशी कहते हैं।
“अन्नदा” का अर्थ है – अन्न देने वाली, समृद्धि लाने वाली।
इस तिथि का महत्व केवल व्रत रखने तक सीमित नहीं है। यह दिन दान, संयम, और आत्मशुद्धि का प्रतीक है।
अन्नदा एकादशी की कथा (हरिश्चंद्र प्रसंग)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र पर एक समय कठिन विपत्तियाँ आ पड़ीं। राज-पाट छिन गया, परिवार बिखर गया, और उन्हें श्मशान में काम करना पड़ा। सत्य और धर्म पर टिके रहने वाले राजा ने जीवन की सबसे कठिन परीक्षा झेली।
एक दिन गौतम ऋषि उनके पास आए और बोले –
“राजन, भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘अन्नदा एकादशी’ कहते हैं। यदि आप श्रद्धा से इसका व्रत करेंगे, तो सारे पाप मिटेंगे और दुःखों से मुक्ति मिलेगी।”
राजा हरिश्चंद्र ने व्रत रखा, पूरी रात जागरण किया और भगवान विष्णु का नाम स्मरण किया। परिणामस्वरूप उनके सारे कष्ट दूर हुए, परिवार पुनः मिल गया और राज्य भी वापस मिला।
👉 यह कथा केवल इतिहास नहीं, बल्कि संदेश है – सत्य और संयम पर टिके इंसान को ईश्वर स्वयं संभाल लेते हैं।
व्रत विधि और नियम
- संकल्प – प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- उपवास – पूरे दिन फलाहार या निर्जल उपवास। अन्न, विशेषकर चावल वर्जित।
- पूजा विधि – भगवान विष्णु की पूजा पीले पुष्प, तुलसी, दीपक और नैवेद्य से करें।
- भजन-कीर्तन – विष्णुसहस्रनाम, गीता का पाठ या हरे कृष्ण महामंत्र का जाप।
- दान – अन्न, वस्त्र या धन का दान इस दिन व्रत की पूर्णता मानी जाती है।
- पारण – अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का समापन करें।
आधुनिक जीवन में अन्नदा एकादशी का महत्व
आज जब हम एक ऐसे समाज में जी रहे हैं जहाँ एक ओर भोजन की बर्बादी है और दूसरी ओर भूख, तब अन्नदा एकादशी हमें याद दिलाती है –
- भोजन का सम्मान करें।
- जरूरतमंदों के साथ बाँटें।
- आत्मसंयम और दया, भक्ति से भी बड़े साधन हैं।
अन्नदा एकादशी उपवास से अधिक है – यह हमें जिम्मेदारी सिखाती है।
प्रमुख तिथियाँ 2025 (Annada Ekadashi 2025 Date)
- व्रत तिथि: 19 अगस्त 2025 (मंगलवार)
- पारण (व्रत तोड़ने का समय): 20 अगस्त सुबह 5:53 AM – 8:29 AM
- पक्ष: भाद्रपद कृष्ण पक्ष
अन्नदान का संदेश
भगवद गीता (अध्याय 17, श्लोक 20) में कहा गया है –
“दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।
देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्॥”
अर्थात – जो दान बिना किसी प्रत्युपकार की आशा के, उचित समय, स्थान और पात्र को दिया जाता है, वही सात्त्विक और श्रेष्ठ है।
इसलिए अन्नदा एकादशी पर अन्नदान सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है।
FAQs (मानवीय अंदाज में)
Q1. अन्नदा एकादशी क्यों मनाई जाती है?
👉 यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और माना जाता है कि इससे अन्न-धन की कमी दूर होती है।
Q2. इस दिन क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?
👉 फल, दूध, सूखे मेवे। अनाज और खासकर चावल वर्जित हैं।
Q3. क्या अन्नदा और अजा एकादशी एक ही हैं?
👉 हाँ, इसे अजा एकादशी भी कहा जाता है।
Q4. अगर पूरा उपवास संभव न हो तो क्या करें?
👉 फलाहार या केवल दूध पर रह सकते हैं। मुख्य बात है – मन की शुद्धि और भक्ति।
Q5. इसका आधुनिक महत्व क्या है?
👉 आज यह व्रत हमें याद दिलाता है कि भोजन का महत्व केवल पेट भरना नहीं, बल्कि साझा करना और आभार मानना है।
निष्कर्ष
अन्नदा एकादशी केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक और मानवीय चेतना का दिन है। हरिश्चंद्र की तरह हमें भी जीवन के संघर्षों में संयम और भक्ति का सहारा लेना चाहिए। और सबसे बढ़कर – अपने हिस्से का थोड़ा अन्न किसी जरूरतमंद तक पहुँचाना ही असली व्रत है।