“बेबी, तू आया नहीं लेने”: शहीद सिद्धार्थ यादव और सानिया की प्रेम कहानी ने रुला दिया

शहीद सिद्धार्थ यादव और सानिया

भारतीय वायुसेना के फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव, जिनकी राजधानी में जगुआर fighter jet दुर्घटना में दुखद मृत्यु हुई, की प्रेम कहानी ने सभी को गहराई से प्रभावित किया है। उनकी मंगेतर सानिया की चीखें और विलाप, जिन्होंने हाल ही में अपनी सगाई मनाई थी, हर किसी के दिल को झकझोर कर रख दी हैं।

भावुक अंतिम विदाई में पूरा गांव पहुंचा

सिद्धार्थ यादव का पार्थिव शरीर जब उनके गांव पहुंचा, तो पूरा गांव अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा। तिरंगे में लिपटे उनके शव के पास खड़ी एक युवती का दृश्य दिल को चीर देने वाला था। सानिया, शादी के ख्वाब बुनने वाली, सिद्धार्थ के ताबूत से लिपटकर बार-बार चिल्ला रही थीं, “बेबी, तू आया नहीं लेने, तूने कहा था, तू आएगा।” यह सुनकर वहां उपस्थित हर व्यक्ति की आंखों में आंसू आ गए।

प्यार का दर्द सह नही पा रही सानिया

सानिया की चीखें, “तू मुझे लेने नहीं आया बेबी” सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे प्रेम की एक अधूरी कहानी को चुपचाप सुन लिया गया हो। वह बार-बार सिद्धार्थ की तस्वीर को अपने सीने से लगा रही थीं, और उसके पार्थिव शरीर को देखकर उनकी आंखों से गिरते आंसू उस तस्वीर पर गिरकर जैसे उसमें समा रहे थे। यह दृश्य हृदय को द्रवित करने वाला था और हर कोई गहरे भावनात्मक झटके में था।

सगाई और विवाह के सपने मातम में बदल गए

सिद्धार्थ और सानिया की सगाई 23 मार्च को हुई थी। उनकी शादी 2 नवंबर को प्रस्तावित थी। सानिया और सिद्धार्थ घंटों फोन पर बातचीत किया करते थे, शादी की तैयारियों का ख्वाब देखते थे—प्री-वेडिंग शूट, हनीमून, और सभी खुशियों से भरे पलों की योजना बनाते थे। अब प्रत्येक याद एक दुखद स्मृति में परिवर्तित हो गई है।

शहीद का अंतिम संस्कार गुड़गांव के माजरा भालखी गांव में

सिद्धार्थ यादव का अंतिम संस्कार गुड़गांव के माजरा भालखी गांव में सैन्य सम्मान के साथ किया गया। उनके परिवार पर शोक का पहाड़ टूट पड़ा। सिद्धार्थ के पिता, सुशील यादव, ने बताया कि उन्हें जब जानकारी मिली कि एक पायलट बच गया है जबकि उनका बेटा शहीद हो गया है, तो उनका हृदय टूट गया।

भारतीय वायुसेना का गौरव

सिद्धार्थ का परिवार भारतीय सेना में एक समृद्ध इतिहास रखता है। उनके पिता सुशील यादव भारतीय वायुसेना से रिटायर हुए हैं और उनके दादा-परेदादा भी सेना में थे। सिद्धार्थ ने भारतीय वायुसेना में जनरल सर्विस से जुड़े होकर अपनी जिम्मेदारियों को निभाना शुरू किया था।

अंतिम विदाई में भावनाओं का समंदर

सिद्धार्थ को श्रद्धांजलि देने के लिए सैकड़ों लोग उमड़ आए। उनकी याद में फूलों की पंखुड़ियां बरसाईं गईं और भारतीय वायुसेना के जवानों ने उन्हें सलामी दी। यह पल सभी के लिए दिल दहला देने वाला था। सानिया के साथ उनकी प्रेम कहानी, जो एक सुंदर और सुखद भविष्य की ओर बढ़ रही थी, अब अधूरी रह गई।

निष्कर्ष: एक अपूर्ण प्रेम कहानी

सिद्धार्थ यादव और सानिया की कहानी सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि यह उन युवाओं की सामूहिक आत्मा की कहानी है जो देश के लिए अपनी जान की बाजी लगाते हैं। सानिया की दुआएं और उसकी यादें हमेशा सिद्धार्थ के साथ रहेंगी। उनकी अधूरी प्रेम कहानी इस बात की याद दिलाती है कि जीवन कभी-कभी कितनी अप्रत्याशित दिशा में बढ़ सकता है, और हमें हर क्षण को पूरी तरह से जीने की प्रेरणा देती है।

उनकी कहानी को हम कभी नहीं भूल पाएंगे। “बेबी, तू आया नहीं लेने” शब्दों में एक ऐसी पूर्णता है, जो प्रेम को कभी समाप्त नहीं होने देती। यह एक दिल को झकझोरने वाला एहसास है, जो हमेशा हमारे दिलों में रहेगा।

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